अम्बेडकर नगर ब्यूरो बांकेलाल निषाद “प्रणव”
बाबा गोविंद साहब मेले में बंट रही हैं स्वामी अड़गड़ानंद जी की कृतियां
अब तक हजारों की संख्या में फक्कड़ बाबा के तत्वावधान में बांटी जा चुकी हैं धार्मिक पुस्तकें।
सवा महीने चलने वाले पूर्वांचल के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक मेला बाबा गोविंद साहब में प्रतिदिन श्री परमहंस आश्रम प्रथम देव बहिरादेव आजमगढ़ के संत फक्कड़ बाबा के तत्वावधान में विश्व गुरु विश्व गौरव से सम्मानित यथार्थ गीता के प्रणेता तत्व द्रष्टा महापुरुष परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा रचित धार्मिक साहित्यों को मुफ्त में बांटा जा रहा है। भजन किसका करें? हिंदू धर्म जीवन पद्धति नहीं, एक साधना है, देवी पूजन की वास्तविकता क्या है? नवयुवकों की जिज्ञासाएं और भजन से लाभ, षोडशोपचार पूजन पद्धति, आर्य सनातन और हिन्दू धर्म, मैं कौन हूं,? , त्र्यंम्बकं यजामहे, भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण, पुनर्मिलन: धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं, हिन्दू धर्म जीवन पद्धति नहीं एक साधना है, यथार्थ गीता इत्यादि छोटी-बड़ी भवसागर को पार करा देने वाली पूज्य गुरुदेव भगवान द्वारा रचित धार्मिक पुस्तकों को मुफ्त में बांटा जा रहा है। प्रतिदिन हजारों की भीड़ मेले में रहती है। तीन से चार बसें पूर्वांचल से गाजीपुर बलिया मऊ आजमगढ़ देवरिया इत्यादि जिलों से श्रद्धालु दर्शनार्थी बाबा गोविंद साहब की समाधि पर मत्था टेकने आते हैं । मत्था टेकने के बाद बाबा गोविंद साहब के महन्त पूज्य श्री भगेलू महाराज जी का दर्शन करने व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। इस शुभ अवसर पर पूज्य श्री भगेलू महाराज जी द्वारा उन भक्तों में पूज्य श्री स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वारा रचित उक्त पावन कृतियों को मुफ्त में वितरित कर दिया जाता है। जब उक्त पावन कृतियों की कमी हो जाती है तो उसके पहले ही श्री परमहंस आश्रम प्रथम देव बहिरादेव आश्रम आजमगढ़ से धार्मिक साहित्यों को फक्कड़ महाराज जी के आदेश से भेज दिया जाता है। ज्ञातव्य हो कि एक ईश्वर की आराधना से ही बाबा गोविंद साहब को प्राप्ति हुई थी । एक ईश्वर की ही प्राप्ति का विधान परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज अपने उपदेशों में बताते हैं। ओम, राम में से कोई भी ढाई अक्षर के नाम का जप का विधान पूज्य गुरुदेव भगवान बताते हैं जो सहजता से सांसों में ढल जाता है। पूज्य गुरुदेव भगवान बताते हैं कि जैसे ही तीन से चार महीने ओम अथवा राम को जपेंगे तैसे ही आपको लगेगा कि आपके आगे पीछे कोई लगा है आपका मार्गदर्शन होने लगेगा इसी को कहते हैं कि सद्गुरु हृदय से रथी हो गये अब वे सद्गुरु पूर्तिपर्यंत तक आपके हृदय से रथी रहेंगे। विस्तार से पूज्य गुरुदेव भगवान की विद्याओं को जानने के लिए उनकी कृतियों को पढ़ें और उनका शरण शानिध्य प्राप्त करें।